Shree Bhairav Chalisa Pdf | श्री भैरव चालीसा पीडीएफ


इस आर्टिकल में हम आपको Shree Bhairav Chalisa Pdf के बारे में कुछ महती जानकारी प्रदान कर सकता हूँ। भैरव चालीसा एक प्रसिद्ध हिन्दू धार्मिक पाठ है जिसमें भगवान भैरव की महिमा का वर्णन किया गया है। इस Bhairav Chalisa Pdf को उनकी पूजा और भक्ति के लिए पढ़ी जाती है।

Shree Bhairav Chalisa Pdf

भैरव चालीसा में भगवान भैरव जी की महिमा, गुण, आशीर्वाद और उनकी कृपा का वर्णन किया गया हैं। Shree Bhairav Chalisa Pdf का पाठ करने से भक्तों को शांति, सुख, संतोष और आत्मिक उन्नति प्राप्त होता है l इसके अतिरिक्त भैरव चालीसा की स्तुति करते है तो भक्तो के जीवन से संकट और बाधा दूर होती हैं साथ ही भगवान भैरव जी की कृपा प्राप्त होती है l

Shree Bhairav Chalisa Pdf का पाठ ज्यादातर भगवान भैरव के प्रसिद्ध मंदिरों में पाठित किया जाता है, लेकिन इसे भक्तों द्वारा भी घर में या किसी भी सांस्कृतिक कार्यक्रम में पाठित किया जा सकता है।

भैरव चालीसा भारत के विभिन्न भाषाओ में उपलब्ध है और आमतौर पर लोग इसे अपनी भाषा में पढ़ना काफी पसंद करते हैं। दोस्तों आप इसे पीडीएफ फॉर्मेट में भी डाउनलोड कर सकते है ताकि लोग इसे अपनी सुविधा के अनुसार पढ़ सकें। दोस्तों हम आपको इस आर्टिकल में Shree Bhairav Chalisa Pdf डाउनलोड करने का लिंक प्रदान करेंगे l आप इस लिंक के माध्यम से Shree Bhairav Chalisa Pdf डाउनलोड कर सकते है l

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भैरव चालीसा

॥ दोहा ॥
श्री गणपति गुरु गौरी पद
प्रेम सहित धरि माथ ।
चालीसा वंदन करो
श्री शिव भैरवनाथ ॥

श्री भैरव संकट हरण
मंगल करण कृपाल ।
श्याम वरण विकराल वपु
लोचन लाल विशाल ॥

॥ चौपाई ॥
जय जय श्री काली के लाला ।
जयति जयति काशी-कुतवाला ॥

जयति बटुक-भैरव भय हारी ।
जयति काल-भैरव बलकारी ॥

जयति नाथ-भैरव विख्याता ।
जयति सर्व-भैरव सुखदाता ॥

भैरव रूप कियो शिव धारण ।
भव के भार उतारण कारण ॥

भैरव रव सुनि हवै भय दूरी ।
सब विधि होय कामना पूरी ॥

शेष महेश आदि गुण गायो ।
काशी-कोतवाल कहलायो ॥

जटा जूट शिर चंद्र विराजत ।
बाला मुकुट बिजायठ साजत ॥

कटि करधनी घुंघरू बाजत ।
दर्शन करत सकल भय भाजत ॥

जीवन दान दास को दीन्ह्यो ।
कीन्ह्यो कृपा नाथ तब चीन्ह्यो ॥

वसि रसना बनि सारद-काली ।
दीन्ह्यो वर राख्यो मम लाली ॥

धन्य धन्य भैरव भय भंजन ।
जय मनरंजन खल दल भंजन ॥

कर त्रिशूल डमरू शुचि कोड़ा ।
कृपा कटाक्ष सुयश नहिं थोडा ॥

जो भैरव निर्भय गुण गावत ।
अष्टसिद्धि नव निधि फल पावत ॥

रूप विशाल कठिन दुख मोचन ।
क्रोध कराल लाल दुहुं लोचन ॥

अगणित भूत प्रेत संग डोलत ।
बम बम बम शिव बम बम बोलत ॥

रुद्रकाय काली के लाला ।
महा कालहू के हो काला ॥

बटुक नाथ हो काल गंभीरा ।
श्वेत रक्त अरु श्याम शरीरा ॥

करत नीनहूं रूप प्रकाशा ।
भरत सुभक्तन कहं शुभ आशा ॥

रत्न जड़ित कंचन सिंहासन ।
व्याघ्र चर्म शुचि नर्म सुआनन ॥

तुमहि जाइ काशिहिं जन ध्यावहिं ।
विश्वनाथ कहं दर्शन पावहिं ॥

जय प्रभु संहारक सुनन्द जय ।
जय उन्नत हर उमा नन्द जय ॥

भीम त्रिलोचन स्वान साथ जय ।
वैजनाथ श्री जगतनाथ जय ॥

महा भीम भीषण शरीर जय ।
रुद्र त्रयम्बक धीर वीर जय ॥

अश्वनाथ जय प्रेतनाथ जय ।
स्वानारुढ़ सयचंद्र नाथ जय ॥

निमिष दिगंबर चक्रनाथ जय ।
गहत अनाथन नाथ हाथ जय ॥

त्रेशलेश भूतेश चंद्र जय ।
क्रोध वत्स अमरेश नन्द जय ॥

श्री वामन नकुलेश चण्ड जय ।
कृत्याऊ कीरति प्रचण्ड जय ॥

रुद्र बटुक क्रोधेश कालधर ।
चक्र तुण्ड दश पाणिव्याल धर ॥

करि मद पान शम्भु गुणगावत ।
चौंसठ योगिन संग नचावत ॥

करत कृपा जन पर बहु ढंगा ।
काशी कोतवाल अड़बंगा ॥

देयं काल भैरव जब सोटा ।
नसै पाप मोटा से मोटा ॥

जनकर निर्मल होय शरीरा ।
मिटै सकल संकट भव पीरा ॥

श्री भैरव भूतों के राजा ।
बाधा हरत करत शुभ काजा ॥

ऐलादी के दुख निवारयो ।
सदा कृपाकरि काज सम्हारयो ॥

सुन्दर दास सहित अनुरागा ।
श्री दुर्वासा निकट प्रयागा ॥

श्री भैरव जी की जय लेख्यो ।
सकल कामना पूरण देख्यो ॥

॥ दोहा ॥
जय जय जय भैरव बटुक स्वामी संकट टार ।
कृपा दास पर कीजिए शंकर के अवतार ॥

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