Baglamukhi Chalisa Pdf डाउनलोड

Baglamukhi Chalisa Pdf:- मां बगलामुखी का स्वरूप सभी देवियों के स्वरूप में से एक है l इनका स्वरूप ही पीले रंग से युक्त है और इनकी पूजा पाठ करने में पीले रंग के सामग्री का ही प्रयोग किया जाता है l और इन्हें स्तम्भन शक्ति की देवी माना गया है माँ Baglamukhi Chalisa करने वालो के जीवन में नकारात्मक ऊर्जा एवं दुःखो का उसी तरह से निवारण होता है जैसे -किसी वन में लगी आग से सभी तरह के पेड़ो को नष्ट कर देती है l

Baglamukhi Chalisa Pdf

Baglamukhi Chalisa Pdf का लाभ

Baglamukhi Chalisa Pdf का पाठ करने से किसी भी प्रकार के कार्यो में आई हुई रूकावट से मुक्ति मिल जाती है और मन को शांति प्राप्त होता है जिससे जीवन खुशहाली में व्यतीत होने लगता है l अगर आप सभी दीक्षा प्राप्त कर यह Baglamukhi Chalisa Pdf प्राप्त करना चाहते तो आप सभी को बहुत अच्छा परिणाम प्राप्त होगा l Baglamukhi Chalisa Pdf को अपने मोबाइल में डाउनलोड कर प्रतिदिन पाठ कर सकते है l

Sandhyavandanam Yajur Veda Pdf

Baglamukhi Chalisa Pdf

।। दोहा ।।

सिर नवाइ बगलामुखी, लिखूं चालीसा आज।।

कृपा करहु मोपर सदा, पूरन हो मम काज।।

।। चौपाई ।।

जय जय जय श्री बगला माता। आदिशक्ति सब जग की त्राता।।

बगला सम तब आनन माता। एहि ते भयउ नाम विख्याता।।.

शशि ललाट कुण्डल छवि न्यारी। असतुति करहिं देव नर-नारी।।

पीतवसन तन पर तव राजै। हाथहिं मुद्गर गदा विराजै।।

तीन नयन गल चम्पक माला। अमित तेज प्रकटत है भाला।।

रत्न-जटित सिंहासन सोहै।शोभा निरखि सकल जन मोहै।।

आसन पीतवर्ण महारानी। भक्तन की तुम हो वरदानी।।

पीताभूषण पीतहिं चन्दन। सुर नर नाग करत सब वन्दन।।

एहि विधि ध्यान हृदय में राखै। वेद पुराण संत अस भाखै।।

अब पूजा विधि करौं प्रकाशा। जाके किये होत दुख-नाशा।।

प्रथमहिं पीत ध्वजा फहरावै। पीतवसन देवी पहिरावै।।

कुंकुम अक्षत मोदक बेसन। अबिर गुलाल सुपारी चन्दन।।

माल्य हरिद्रा अरु फल पाना। सबहिं चढ़इ धरै उर ध्याना।।

धूप दीप कर्पूर की बाती। प्रेम-सहित तब करै आरती।।

अस्तुति करै हाथ दोउ जोरे। पुरवहु मातु मनोरथ मोरे।।

मातु भगति तब सब सुख खानी। करहुं कृपा मोपर जनजानी।।

त्रिविध ताप सब दुख नशावहु। तिमिर मिटाकर ज्ञान बढ़ावहु।।

बार-बार मैं बिनवहुं तोहीं। अविरल भगति ज्ञान दो मोहीं।।

पूजनांत में हवन करावै। सा नर मनवांछित फल पावै।।

सर्षप होम करै जो कोई। ताके वश सचराचर होई।।

तिल तण्डुल संग क्षीर मिरावै। भक्ति प्रेम से हवन करावै।।

दुख दरिद्र व्यापै नहिं सोई। निश्चय सुख-सम्पत्ति सब होई।।

फूल अशोक हवन जो करई। ताके गृह सुख-सम्पत्ति भरई।।

फल सेमर का होम करीजै। निश्चय वाको रिपु सब छीजै।।

गुग्गुल घृत होमै जो कोई। तेहि के वश में राजा होई।।

गुग्गुल तिल संग होम करावै। ताको सकल बंध कट जावै।।

बीलाक्षर का पाठ जो करहीं। बीज मंत्र तुम्हरो उच्चरहीं।।

एक मास निशि जो कर जापा। तेहि कर मिटत सकल संतापा।।

घर की शुद्ध भूमि जहं होई। साध्का जाप करै तहं सोई।

सेइ इच्छित फल निश्चय पावै। यामै नहिं कदु संशय लावै।।

अथवा तीर नदी के जाई। साधक जाप करै मन लाई।।

दस सहस्र जप करै जो कोई। सक काज तेहि कर सिधि होई।।

जाप करै जो लक्षहिं बारा। ताकर होय सुयशविस्तारा।।

जो तव नाम जपै मन लाई। अल्पकाल महं रिपुहिं नसाई।।

सप्तरात्रि जो पापहिं नामा। वाको पूरन हो सब कामा।।

नव दिन जाप करे जो कोई। व्याधि रहित ताकर तन होई।।

ध्यान करै जो बन्ध्या नारी। पावै पुत्रादिक फल चारी।।

प्रातः सायं अरु मध्याना। धरे ध्यान होवैकल्याना।।

कहं लगि महिमा कहौं तिहारी। नाम सदा शुभ मंगलकारी।।

पाठ करै जो नित्या चालीसा।। तेहि पर कृपा करहिं गौरीशा।।

।। दोहा ।।

सन्तशरण को तनय हूं, कुलपति मिश्र सुनाम।

हरिद्वार मण्डल बसूं , धाम हरिपुर ग्राम।।

उन्नीस सौ पिचानबे सन् की, श्रावण शुक्ला मास।

चालीसा रचना कियौ, तव चरणन को दास।।

Baglamukhi Chalisa Pdf पूजा की विधि

  • इस चालीसा का विधि-विधान से पाठ करने के लिए आपको सर्वप्रथम स्नान करना होगा और अपने मन को प्रसन्नचित्त कर पवित्र करना होगा l
  • जिसके बाद आपको पीले रंग का आसन बिछाकर उस पर बैठना होगा l
  • बगलामुखी चालीस का पाठ करने के लिए आपको सरसों के तेल का दीपक जलाना होगा l
  • पाठ का शुरुआत करने से पूर्व अपने गुरु गणेश जी और बैरव बाबा को नमन कर माँ बगलामुखी का ध्यान करना होगा l
  • अब आपको पीले फुल और वस्त्र को अर्पित करना होगा और प्रसाद का भोग लगाकर बगलामुखी चालीसा का पाठ करना होगा l
  • चालीसा संपन्न होने के पश्चात आपको 108 बार मृत्युंजय मंत्र – हौं जूं सः  का जप रुद्राक्ष माला के साथ करना होगा l
  • साधक सदैव ध्यान रखे की बिना मृत्युन्जय मंत्र के माँ बगलामुखी की साधना अपूर्ण रहती है l इसलिए भक्त को मृत्युंजय मंत्र का जाप अवश्य करना चहिये l
  • इसके बाद भक्त सम्पूर्ण प्रक्रिया पूर्ण करने के बाद माता को समर्पित कर आसन से उठ जाये l

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